Why Islam? 100 reasons (इस्लाम ही क्यों?)

Belief (आस्था)

Why Islam? 100 reasons (इस्लाम ही क्यों?)

Why Islam? 100 reasons (इस्लाम ही क्यों?) इस दुनिया में जितने भी लोग हैं उनका किसी न किसी पर अपना विस्वास और यक़ीन होता है। जैसे एक बाप का अपने औलादों पर यक़ीन होता है। एक बच्चे का अपने पिता पर यक़ीन होता है। शौहर और बीवी का एक दूसरे पर यक़ीन और भरोसा होता है। मरीज़ का डॉक्टर और दवाइयों पर यक़ीन होता है।

इसी तरह कुछ लोगों का यक़ीन होता है कि दुनिया अपने आप चलती है। यह अपने आप वजूद में आया। इसे बनाने वाला कोई नहीं। यानी की उसका भी यह यक़ीन है की इस जहाँ को बनाने वाला कोई नहीं। कुछ लोग यह मानते हैं कि इसका बनाने वाला है।

जो लोग यह कहते हैं कि इस जहान को बनाने वाला कोई नहीं है और वो यकीन रखते हैं कि यह अपने आप बन गया है और अपने आप ही चल रहा है तो यह एक गलत यकीन और विसवास है।

क्योंकि इस्लाम बताता है कि इस पूरे जहान में इसके बनाने वाले के बहुत सारे सबूत और निशानियाँ मौजूद हैं। हमें बहुत सी ऐसी चीज़ें नज़र आती हैं जो साफ साफ यह बताती है कि इसका कोई न कोई तो बनाने वाला है। इतना सबकुछ पूरी तरह perfect और accurate अपने आप तो नहीं हो सकता।

Reason 01 : Existence of Allah (अल्लाह की मौजूदगी)

पहली वजह कि इस्लाम बताता है कि Universe में हर जगह, हर तरफ proofs हैं अल्लाह कि मौजूदगी का। जैसे अगर इंसान अपने जिस्म कि बनावट में ही गौर करे कि कैसे एक पानी का क़तरा वक़्त के साथ माँ के कोख में धीरे धीरे एक पूरे तौर पर इंसानी शक्ल इख्तियार करता है और फिर एक इंसान कि पैदाइश होती है। यह सब कुछ इतना perfect अपने आप नहीं हो सकता है। यह इंसान को सोचने पर मजबूर करता है कि कोई तो है जो हमारा ख़ालिक़ है।

Universe अपने आप नहीं बना।

Glowing spaceship orbits planet in starry galaxy generated by artificial intelligence

मिसाल के तौर पर हमारे जिस्म में जो DNA होता है उसमे हजारों तरह के information होते हैं। इतने सारे कि अगर Encyclopedia जैसी किताबें लिखी जाय तो इसके सेकड़ों खंड तैयार हो सकता है सिर्फ DNA के information से। साथ ही साथ हमारे शरीर में जो cell है उसका architecture एक पूरे शहर के जैसा है। यह सब बातें अपने आप, ऐसे ही कैसे हो सकता है। क्या यह मुमकिन है? हम गौर करें तो समझ में आता है कि यह Universe ऐसे ही नहीं बना बल्कि एक बेहतर डिज़ाइन से बना है और इसका बनाने वाला भी मौजूद है।

Nothing + Nothing x Nothing = Nothing

जब कहीं कुछ नहीं होता है, इसका मतलब कुछ भी नहीं होता है। तो फिर कुछ नहीं से अपने आप कुछ भी कैसे हो सकता है? मतलब कि कुछ नहीं से इतना बड़ा Universe कैसे वजूद में आ सकता है? मतलब कुछ तो था या है जो इसको वजूद में लाया है और उस जात का नाम है अल्लाह।

क्या कोई चीज़ अपने आप बन सकती है। ( Can something come into existence on its own?)

क्या ऐसा मुमकिन है कि कोई भी चीज़ बेगैर किसी बनाने वाले के अपने आप बन जाए। उदाहरण के तौर पर क्या किसी पेंट के डब्बे में धमाका होने से सारे रंग ऐसे arrange हो जाए कि उस से अपने आप encyclopedia जैसी कोई बड़ी किताब तैयार हो जाए। मतलब research, content, editing, printing, binding सबकुछ अपने आप हो जाय और एक पूरी मुकम्मल किताब आपके सामने मौजूद हो। या फिर जिस मोबाइल या कम्प्युटर में आप इस लेख को पढ़ रहे हैं कुछ ऐसा हो जाए कि अपने आप यह Super Computer में तब्दील हो जाए। क्या यह मुमकिन है? क्या ऐसा मुमकिन है कि ईंट, बालू, सीमेंट, और कंकरी बिखरी पड़ी हो और एक ऐसी हवा चले कि उस से अपने आप बुर्ज खलीफा जैसा टावर तैयार हो जाय? आप आसानी से समझ सकते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं है। बल्कि इसे बनाना पड़ता है। बिलकुल ऐसे ही इस कायनात का बनाने वाला है। यह अपने आप नहीं बन सकता।

अल्लाह कि जात मौजूद है। (Allah Exists)

इसलिए यह मानना ज़्यादा मुश्किल नहीं कि कोई जात है जिसने कायनात को बनाया। जो कायनात का मालिक है और उसे चलाने वाला है। और वह है अल्लाह। और यह अवधारणा इस्लाम ने दिया।

कुरान में अल्लाह कहता है।

Al-Ikhlas : 1-4

“कहो कि वो अल्लाह है एक है। अल्लाह बे-नियाज़ है। न उसकी कोई संतान है और न वो किसी की संतान है। और उसके बराबर कोई नहीं। ” सूरह इख़लास, आयात 1-4

अल्लाह ने ऐसे लोगों से सवाल भी किया है कि

Surah Tur : 35-36

“क्या वे किसे चीज़ के बेगैर ही पैदा हो गए या फिर उनहों ने खुद अपने आप को बनाया? क्या उन्होने आसमान और जमीन को बनाया? दर असल वह लोग यकीन ही नहीं रखते। “

यह जो concept of God इस्लाम ने दिया सबसे सटीक और logical है इसलिए यह पहली सबसे बड़ी वजह हो सकती है जिसकारण इस्लाम को चुनना चाहिए।

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