नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा दे या नौकरी छोड़ दे, सुप्रीम कोर्ट

नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा दे या नौकरी छोड़ दे, सुप्रीम कोर्ट: नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर शिक्षा के लिए नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देनी होगी। सरकार के नियमों के अनुसार चलना होगा, अन्यथा नौकरी छोड़ देनी चाहिए।

दैनिक अखबार हिंदुस्तान के मुताबिक, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए कोई कदम उठा रही है तो शिक्षकों को उसका समर्थन करना चाहिए। अगर शिक्षक इस तरह की परीक्षा नहीं दे सकते तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए। अदालत ने कहा कि शिक्षण एक महान पेशा है लेकिन शिक्षक अपने वेतन और प्रोमोशन पर ही रुचि ले रहे हैं। लाखों लोग बेरोजगार हैं और आप अपने कौशल को विकसित नहीं करना चाहते। आप सबको इसे गंभीरता से लेना चाहिए या फिर इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि गांव के विद्यालयों की हालत देखिए। यहां के शिक्षण का स्तर देखिए। एक स्नातकोत्तर पास व्यक्ति ठीक से छुट्टी का पत्र भी नहीं लिख सकता। ऐसे में जब सरकार शिक्षकों के कौशल और सक्षमता को बेहतर करना चाहती है तो आप उन्हें अदालत में चुनौती देते हैं। सबकोई अपने बच्चों को निजी स्कूल में नहीं पढ़ा सकते।

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा ” हम देशभर और खासकर बिहार के बच्चों के शिक्षा के प्रति गंभीर हैं।”

दूसरी ओर बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि सक्षमता परीक्षा पूर्णतः वैकल्पिक है। जो विशिष्ट शिक्षक बनकर राज्यकर्मी का दर्जा पाना चाहते हैं वह परीक्षा देकर पास करे और राज्यकर्मी बन जाएं। और जो नहीं देना चाहते और अपनी जगह पर बने रहना चाहते हैं तो वह अपनी जगह बने रह सकते हैं। जो शिक्षक सक्षमता नहीं देना चाहते उन्हें सरकार नौकरी से नहीं निकालेगी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्न और उज्जल भूयान की वैकेशन बेंच ने गुरुवार को परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ तथा बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ की याचिका पर सुनवाई की।

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